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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास है प्रीति का मूलमंत्र




समाज का वह तबका जो शोषित, गरीब एवं असहाय है और जो अपने मूल अधिकारों के साथ जीने में असमर्थ है, उनके लिए प्रीति पाटकर की 'प्रेरणा' किसी वरदान से कम नहीं है। मुंबई जैसे शहर में उनके लिए आशा की एक किरण सामाजिक संस्था 'प्रेरणा' के रूप में जगमगा रही है। यहां मानव सेवा कार्य के जरिए व्यावसायिक यौनकर्मियों की दुर्दशा को सुधारने, उनके बच्चों को शिक्षित करने, लड़कियों की अवैध कारोबार को रोकने में लगीं प्रीति पाटकर अपने लक्ष्य के लिए तन-मन से समर्पित हैं।

अनुपम कार्य व सम्मान

सामुदायिक सेवा क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए हाल ही में श्रीमती प्रीति पाटकर (संस्थापक एवं कार्यकारी सचिव, प्रेरणा) को लक्ष्मीपत सिंघानिया आईआईएम लखनऊ की तरफ से 'यंग लीडर पुरस्कार' प्रदान किया गया। इस असाधारण सफलता को प्रीति विनम्रता से स्वीकार करते हुए कहती हैं कि 'मुझे खुशी है यह पुरस्कार पाकर, जिसका पूरा श्रेय मैं उन सभी माताओं को देना चाहूंगी, जिन्होंने निडरता से अपने बच्चों के अधिकार के लिए हमारे साथ मिलकर कदम बढ़ाया और मेरे सभी टीम सदस्य, जो करीब 22 साल से इस मिशन के लिए हमारा साथ अपना पूरा सहयोग दिया है। आगे वे कहती हैं, 'आज मेरे जीवन में जो कुछ परिवर्तन है, वह माता-पिता और पति की प्रेरणा प्रेरणा एवं सहयोग से संभव हुआ है।'

समाज सेवा के स्वतंत्र निर्णय
पुरानी लीक से हटकर नई राह बनाने वाले लोग ही कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हैं। यह बात प्रीति पाटकर पर पूरी तरह खरी उतरती है। उन्होंने विश्व पटल पर सामाजिक संस्था 'प्रेरणा' के जरिए समाज में जो अनुपम कार्य कर रही हैं वह काफी सराहनीय है। शिक्षा-करियर के दौरान वर्ष 1986-90 मुंबई के कमाठीपुरा में निर्मला निकेतन कॉलेज से प्रीति पाटकर ने समाज सेवा का संकल्प लिया। उन्होंने वर्ष 1986 में सामाजिक संस्था 'प्रेरणा' का गठन कर व्यावसायिक यौनकर्मियों और उनके बच्चों को स्वस्थ्य शिक्षा और शोषण मुक्त जीवन जीने के अधिकार दिलाने की दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। प्रीति कहती हैं, 'मैंने बच्चों के लिए जो कार्य किया या समाज सेवा के लिए जो भी निर्णय लिया वह सटीक रहा है। मैं गर्व महसूस करती हूं कि कुछ लोगों को ही सही, जिनके साथ अन्याय हुआ है, मैंने उनको न्याय दिलाने की पूरी कोशिश की है।' समाज सेवा और समाज के संबंध में प्रीति कहती हैं कि हम जब तक दूसरे लोगों से समाज को अच्छा बनाने की अपेक्षा करते रहेंगे, तब तक इस समाज का कुछ नहीं होने वाला है। समाज को बेहतर बनाने के लिए हमें खुद कोशिश करनी होगी।

समाज सेवा में चुनौतियां
कहते हैं, सफल इंसान के सामने चुनौतियां कम नहीं होतीं। प्रीति पाटकर भी चुनौतियों को स्वीकार करने के बाद ही सफलता हासिल कीं। उन्होंने रेडलाइट एरिया में रहने वाली महिलाओं और उनके बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बेहतरीन काम किया है। ऐसी महिलाओं को खुद शोषित होने और उनकी बच्चियों को वेश्यावृत्ति की दलदल में जाने से रोका है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व बेहतर करियर की ओर बढ़ाया है। बकौल प्रीति 'जब हमने वेश्याओं और उनके बच्चों के लिए काम करना शुरू किया तो लोगों ने हमारा मजाक उड़ाया। लोग कहते थे कि आप उनके बच्चों की मदद कर उन्हें और प्रोत्साहन दे रही हैं। पहले इस कार्य के लिए कोर्ई फंड देने के लिए तैयार नहीं था। उनका कहना होता था कि अगर हम पैसे दे रहे हैं, तो क्या आप गारंटी है कि उनके बच्चे अच्छे ही बनेंगे?' आगे वह कहती हैं कि हमारी प्रेरणा ने इन चुनौतियों के सामने आगे बढ़कर काम किया है, इसका परिणाम आपके सामने है।

पढ़ाई से मिला विश्वास
मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली प्रीति पाटकर ने मुंबई के निर्मला निकेतन कॉलेज से समाज सेवा में स्नातक की शिक्षा ली। उसके बाद टीआईएसएस से समाज सेवा में ही स्नातकोत्तर की डिग्री लेकर इस क्षेत्र में अपने नये विचार और कुशलनेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है, खासकर महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर। समाज सेवा के अपने बीस साल के अनुभव में प्रीति ने अपने सेवा कार्य से हर किसी को प्रभावित किया है। देश भर में महिला मुद्दों पर आयोजित कार्यक्रमों में वे कई बार हिस्सा ले चुकी हैं। महिलाओं व बच्चों के शोषण व संगठित अपराध के खिलाफ उनके द्वारा प्रस्तुत सुझाव व कार्य देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चर्चा के विषय बने हैं। बकौल प्रीति 'मैं समाजसेवी हूं और समझती हूं कि हमारे व्यक्तित्व में समाज सेवा बिल्कुल फिट बैठता है। इसलिए मैं समाज सेवा की ओर मुखातिब हुई।' समाज सेवा के इस कार्य के लिए प्रीति, कॉलेज के योगदान को महत्वपूर्ण मानती हैं। वे कहती हैं, 'निर्मला निकेतन कॉलेज ऑफ सोसल वर्क डिपार्टमेंट के सभी लोगों का मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मेरे जीवन में काफी महत्वपूर्ण रहा है।'

परिवार ने दी ताकत
बीस साल से समाजसेवा को समर्पित प्रीति पाटकर, आज एक समाज सेवक, प्रशासक, ममतामयी मां और पत्नी के किरदार को बखूबी निभा रही हैं। वह अपनी सफलता के लिए परिवार के योगदान को नहीं भूलती हैं। प्रीति कहती हैं, 'शायद मेरी यह इच्छा, इच्छा ही रह जाती, अगर परिवार का पूरा सपोर्ट नहीं होता। माता-पिता और पति का भरपूर मार्गदर्शन, सहयोग और दोनों बच्चों के प्यार ने हमें हर पल आगे बढ़ाया है।'

स्वयं को बनाया मजबूत
अपने व्यक्तिगत जीवन को काम के साथ-साथ कैसे बैलेंस करें? यह कोई प्रीति से पूछे, जब कभी प्रीति फुर्सत में होती हैं तो वह अपना पूरा समय परिवार के साथ बिताती हैं। वे कहती हैं, 'फुर्सत के क्षण में अपने बच्चों, पति और मां के साथ समय बिताना अच्छा लगता है।' बाकी समय को प्रीति संस्था के कार्यों को पूरा करने और किताबें पढऩे में लगाती हैं। वह फिल्म देखने की शौकिन हैं। जब कभी प्रीति मुश्किल में होती हैं तो आत्मचिंतन, ध्यान और योगा करती हैं। आस्था में वह पूरा विश्वास रखती हैं और दूसरों की सहायता करना अपना सबसे बड़ा धर्म मानती है। प्रीति महत्मा गांधी को अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं। बकौल प्रीति 'मैं गांधीजी से बहुत प्रेरित हूं। सोचती हूं कि अकेले गांधीजी देश के लिए इतना बड़ा काम कर सकते हैं तो मैं क्यूं नहीं!'

जीवन की उपलब्धि
अपनी सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास विश्वास और दृढ़ संकल्प से आज प्रीति पाटकर ने उस मंजिल को तय किया है, जहां पहुंचना हर किसी का सपना होता है। वह अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि लोगों की विचारधारा में बदलाव को मानती हैं। प्रीति कहती हैं कि आज राष्टरीय और अंतर्राष्टरीय स्तर पर लोगों ने वेश्यावृत्ति जैसे विषय को महिलाओं का शोषण होना माना है। जहां समाज उनकी तरफ देखना तक पसंद नहीं करता था, आज अंतर्राष्टरीय स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा होती है। आज फंडिंग एजेंसियां इस समाज बेहतरी के लिए आगे आ रही हैं। उनके बच्चों को स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ-साथ अधिकारों के मामले में भी जागरूक करने की दिशा में सहयोग कर रही हैं।

समाज सेवा के मूल मंत्र
सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास, धैर्य और लगन को प्रीति समाजसेवा का मूल मंत्र मानती हैं। वह कहती हैं, 'अगर आप समाज को अच्छा देखना और अच्छा बनाना चाहते हैं तो अपने आस-पास के समाज में भागीदार बनकर बेहरत करने की कोशिश करें। वास्तविक संतुष्टि, शांति और दूसरों के लिए काम करने का आनंद ही कुछ अलग है।'


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